मौत का मंजर देख दहला दिल

Saturday, January 8, 2011

रणबीर आकाश, गुरदासपुर
गांव फज्जूपुर में शनिवार को आतिशबाजी के बारूद से हुए धमाके में मौत का मंजर देख लोगों का दिल दहल उठा। धमाके से मकान के उड़े परखच्चे इस बात का गवाह थे कि धमाका कितना जबरदस्त था। धमाके के दौरान मानो इलके की धरती ही कांप उठी। आसपास के घर भी हिल गए। किसी के घर की छत उड़ गई तो किसी की पानी की टंकी ही फट गई। इस मौत के मंजर में अनेक घर उजड़ गए और अनेक आवाजें हमेशा के लिए खामोश हो गई। नववर्ष का महज आठवां ही दिन पूरे गांव के लिए कभी न भुला पाने वाला खूनी मंजर लेकर आया।
सुबह के समय सूचना मिलते ही गांव फज्जूपुर में जाकर देखा तो वहां का मंजर दिल दहला देने वाला था। लोगों का बड़ा हजूम घटना स्थल पर जमा था। पुलिस उन्हें कंट्रोल करने में लगी थी। कोने-कोने से चीख पुकार की आवाजें आ रही थीं। धमाके वाली जगह का दृश्य ही इसकी भयावह कहानी कहने में सक्षम था। आसपास के पांच मकान पूरी तरह मलबे में बदल चुके थे। इस मलबे में करीब दो दर्जन लोग दफन हो चुके थे और सैकड़ों हाथ मलबे को हटाकर इसमें फंसी जिंदगियों को बचाने में जुटे थे।
मसीहा बनकर पहुंचे कार सेवा वाले
हादसे का पता चलते ही हर कोई बचाव कार्य में अपना योगदान डालने को उत्सुक नजर आया। घायलों के लिए तो यह किसी मसीहा से कम नहीं थे। सबसे पहले गांव-गांव फज्जूपुर के लोगों ने ही बचाव कार्य की कमान संभाली। कुछ ही देर बाद पड़ोसी गांवों फत्तेनंगल, लेहल, अहमदाबाद और दीनपुर आदि से स्वयं सेवी संगठन व लोग बचाव कार्य में शामिल हो गए। बाद में बचाव कार्य में धारीवाल, पुराना शाला आदि से पुलिस कर्मी भी जुटे। बुर्ज साहब गुरुद्वारा साहब से भी कार सेवा की टीम बचाव कार्य में जुटी। इस रेसक्यू आपरेशन में सबसे बड़ी बाधा यह आई कि जिन घरों में हादसा हुआ वह मात्र 5 फुट चौड़ी गली में मुख्य गली से करीब 3 सौ फुट पीछे स्थित थे। इस कारण न तो यहां जेसीबी मशीन जा सकती थी और न ही फायर ब्रिगेड की गाड़ियां। लोगों ने अपने हाथों से ही पूरा मलबा हटाया और गैस कटर से लेंटर के लोहे को काटा।
तीन घंटे तक डीसी को नहीं थी खबर
नववर्ष में जिले में घटित इस पहली सबसे बड़े हादसे की खबर कुछ ही मिनटों में पूरे जिले में जंगल की आग की भांति फैल गई। दूर-दूर से पत्रकारों की टीमें मौके पर पहुंच गई। लेकिन घटनास्थल से मात्र 15 किलोमीटर दूर अपनी रिहायश में बैठे जिला प्रशासन के शीर्ष अधिकारी डिप्टी कमिश्नर इस इस घटना से तीन घंटे तक अनजान रहे। जब तीन घंटे बाद एक पत्रकार ने उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए फोन किया तो तब उन्हें पत्रकार से ही इस घटना का पता चला और फिर वह कुछ ही मिनटों में घटनास्थल से रवाना हुए। इस बात को लेकर सभी हैरत में थे।
ईट पत्थरों की हुई बारिश
केपी सिंह, गुरदासपुर
शायद ही किसी ने कभी इस खतरनाक मंजर की कल्पना की हो। आसमान से ईट पत्थरों व सरिया की बारिश और वह भी पूरे गांव में। ..लेकिन जब यह अनूठी बारिश हुई तो लोग अपनी जान बचाने के लिए छत तलाशने लगे। इससे बड़ी बात यह कि लोग कुछ पलों के लिए इतनी दहशत में आ गए कि वो अपनी सुध बुध ही खो बैठे। जागरण टीम ने जब मौके पर जाकर देखा तो वो खुद भी हतप्रभ रह गई। जिन घरों में विस्फोट हुआ उनके लेंटर छोटे बड़े हजारों टुकड़ों में तबदील होकर चारों तरफ आसमान में गोली के वेग से उड़ते हुए करीब तीन सौ मीटर के दायरे में गिरे। इस दायरे में पड़ते सभी घरों के प्रांगण में सैकड़ों पत्थर गिरे। पत्थरों की गति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इनमें लेंटर के 20 से 25 किलो भारी टुकड़े भी थे, जो तीन सौ मीटर दूर तक जाकर गिरे। सबसे बुरा हाल तो एडवोकेट धर्मपाल भगत के घर में हुआ। दो सौ मीटर दूर स्थित करीब एक कनाल के घर का शायद ही कोई हिस्सा ऐसा था, जहां लेंटर के भारी भरकम टुकड़े नहीं गिरे थे। इन पत्थरों के टकराने से उनकी मजबूत सीढ़ी टूट गई। घर के शीशे और दरवाजे टूट गए। बहुत से घरों में तो इन पत्थरों के लगने उनकी पानी की टंकियों में छेद हो गए।
सौभाग्य यह रहा कि जिस वक्त यह खतरनाक बारिश हुई उस समय सर्दी और सुबह के कारण बहुत से लोग और बच्चे अपने घरों के अंदर ही दुबके थे। अन्यथा इन पत्थरों की चपेट में आने से कोई भी अपनी जान से हाथ धो बैठता। एडवोकेट धर्मपाल भगत, ग्राम सभा के उपप्रधान डा. नरेंद्र कुमार व अन्य लोगों ने बताया इस धमाके और पत्थरों की बारिश से उन्हें कुछ समझ में नहीं
आया। कुछ न सोचा कि शायद भूकंप आ गया है तो कुछ न सोचा कि शायद बादल फट गए हैं।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/punjab/4_2_7150390.html

0 comments:

Post a Comment